sidhu moose wala latest news hindi: सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने 58 वर्ष की उम्र में एक बेटे को जन्म दिया है
सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने 58 वर्ष की उम्र में एक बेटे को जन्म दिया है सिद्धू मूसे वाला के पिता बलकौर सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए फैंस के साथ गुड न्यूज़ साझा की जिसमें वह अपने नए छोटे मेहमान को गोद में लिए हुए दिखाई दिए और उन्होंने लिखा- सुभदीप के चाहने वालों के आशीर्वाद से परमात्मा ने शुभ के छोटे भाई को हमारी गोद में डाल दिया है. वाहेगुरु की आशीर्वाद से परिवार स्वस्थ है और सभी शुभचिंतकों के अपार प्रेम के लिए आभारी है
आज से 2 साल पहले सिद्धू मूसेवाला की सरे आम हत्या कर दी गई थी बेटे की मौत के बाद बीते हुए मूसेवाला फैमिली के लिए कितने मुश्किल भरे रहे, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है लेकिन सिद्धू मूसेवाला के परिवार में एक नन्हे मेहमान के आने से गम के बदले कुछ हद तक कम हुए हैं और खुशियों की बहार फिर से आई है
बेटे की कमी को दूर करने के प्लान किया बच्चा
सिद्धू मूसे वाला की मौत के बाद उनके माता-पिता अकेले पड़ गए थे. उनके लिए जिंदगी का हर पल भारी लग रहा था, अपनी जिंदगी के सोने पर और अकेलेपन को दूर करने के लिए सिद्धू मूसे वाला के माता-पिता ने फिर से माता-पिता बनने का फैसला किया
आईवीएफ के जरिए बनी मां
58 वर्ष की उम्र में प्राकृतिक तरीके से बच्चे को गर्भ में धारण करना मुश्किल है, रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिद्धू मूसेवाला की माता-पिता चरण कौर और बलकौर ने दोबारा माता-पिता बनने के लिए IVF टेक्नोलॉजी की सहायता ली, बठिंडा के सिविल अस्पताल में सुबह 5:58 पर चरण कौर की डिलीवरी हुई
आखिर क्या है यह आईवीएफ
आईवीएफ का अर्थ( IVF meaning ):- आईबीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, इसे साधारण भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं यह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में असफल कपल्स के लिए गर्भधारण का सफल माध्यम बन सकता है
आईवीएफ में क्या होता है- इसमें महिला के शरीर में होने वाली निषेचन की प्रक्रिया अर्थात महिला के अंडे और पुरुष की शुक्राणु का मिलन की प्रक्रिया को बाहर लैब में किया जाता है, लैब में बनने वाले भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है
यह प्रक्रिया किस प्रकार की जाती है
- अंडों की संख्या बढ़ाना- प्राकृतिक रूप से महिला के अंडाशय में हर महीने अंडे तो ज्यादा बनते हैं, लेकिन प्रतिमाह एक ही अंडा बड़ा होता है इसके विपरीत आईवीएफ प्रक्रिया में सभी एंड बड़े करने के लिए महिला को दवाइयां और इंजेक्शन दिए जाते हैं. इस प्रक्रिया में अंडों के विकास को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड के माध्यम से महिला की जांच की जाती है, आईवीएफ प्रक्रिया में सामान्य से ज्यादा एंड इसलिए बनाए जाते हैं ताकि उनसे ज्यादा भ्रूण बनाए जा सके और इन भ्रूण में से सबसे अच्छा भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किया जा सके।
- अंडे को शरीर से बाहर निकलना:- अंडे के पूरे बने और परिपकव होने के बाद एक पतली सी की मदद से एंड टेस्ट ट्यूब में अल्ट्रासाउंड की निगरानी में एकत्रित किए जाते हैं। जीने लैब में रख दिया जाता हैं
- अंडा फर्टिलाइजेशन :- अंडे के निषेचन करने के लिए मेरी पार्टनर के सीमन का सैंपल लेकर अच्छे शुक्राणु अलग किए जाते हैं. लेमन महिला के अंडों के सामने पुरुष के शुक्राणु को छोड़ दिया जाता है. शुक्राणु एंड में प्रवेश कर जाता है और फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है
भ्रूण का विकास - एम्ब्रियोलॉजिस्ट इन्क्यूबेटर में विभाजित हो रहे भ्रूण को अपनी निगरानी में रखते हैं। 2-3 दिन बाद ये अण्डा 6 से 8 सेल के भ्रूण में बदल जाता है। एम्ब्रियोलॉजिस्ट इन भ्रूण में से श्रेष्ठ 1-2 भ्रूणों का स्थानान्तरण के लिए चयन करते हैं। कई मरीजों में भ्रूणों को 5-6 दिन लैब में विकसित करके ब्लास्टोसिस्ट बना लिया जाता है इसके बाद स्थानान्तरण किया जाता हे। इसमें सफलता की संभावना ज्यादा होती है।
भ्रूण ट्रांसफर - आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से बने भ्रूण या ब्लास्टोसिस्ट में से 1-2 अच्छे भ्रूण का एम्ब्रियोलॉजिस्ट चयन करते हैं और उन्हें भ्रूण ट्रांसफर केथेटर में लेते हैं। डॉक्टर एक पतली नली के जरिए भ्रूण को बड़ी सावधानी से अल्ट्रासाउण्ड इमेजिंग की निगरानी में औरत के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर देते हैं। भ्रूण स्थानान्तरण की प्रक्रिया में दर्द नहीं होता और महिला को बेड रेस्ट की जरूरत नहीं होती है । भ्रूण ट्रांसफर के बाद सारी प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भधारण के समान ही होती है, भ्रूण जन्म तक माँ के गर्भ में ही बड़ा होता है।